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Brain results

नमस्कार 🙏 मित्रो आज का शीर्षक है “मस्तिष्क के परिणाम "। यदि इस बात पर ध्यान दिया जाए तो यह बात पूर्ण सत्य है परंतु यहां पर इस बात के दो पहलू है
  •  पहला की यदि व्यक्ति अपने धर्म के मार्ग पर कर्तव्य का पूर्ण पालन करें तो उसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं  क्योंकि जो धर्म की रक्षा करता हैै धर्म उसकी भी रक्षा करता है। इस मार्ग पर चलने वााला सदैव अमर रहता है।
  • दूसरा कि यदि व्यक्ति अपने धर्म  के मार्ग को न अपनाकर अधर्म के मार्ग को अपनाता है। तो उसकी रक्षा स्वयं भगवान भी नहीं कर सकते। एवं अधर्म के पैर ज्यादा दिन तक टिक भी नहीं पाते अथवा यहां पर कोई भी अमर नहीं है। 
निष्कर्ष : यदि इन दोनों  बातों का निष्कर्ष देखा जाए तो भगवान पहले व्यक्ति को बुध्दि प्रदान करेंगे जिससे कि वह व्यक्ति मुश्किलों सेे डगमग आएगा नहीं और यही दूसरा व्यक्ति जो कि अधर्मी है  उसकी बुद्धि भगवान छीन लेंगे  जिस कारण से वह मुश्किलों सेे लड़ नहीं पाएगा और अंत में वह मृत्यु  के काल में समा जाएगा ।

🙏सादर प्रणाम🙏

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 नमस्कार 🙏 मित्रो आज का शीर्षक ही इस मस्तिष्क के रहस्ययो   की चाभी है क्योंकि जिसने भगवान का दर्शन किया उसने तो पूरा ब्रह्मांड ही देेख लिया। परंतुुुुुु यह इतना सरल भी नहीं है क्योकि भगवान दर्शन के लिए मन  वश में भी होना चाहिए और यह तभी संभव है जब मनुष्य सांसारिक माया से ऊपर उठकर भगवान को याद करे।   इसके लिए भी पूर्व में कबीर जी कहते है:   “यदि नदी किनारे बैठे हैं और आप चाहते हैं कि मोती प्राप्त हो जाए तो यह कहने से प्राप्त नहीं होगा मोती को प्राप्त करने के लिए डुबकी तो लगानी ही पड़ेगी।” अर्थ  : इसी प्रकार मनुष्य भी इस कलयुग में किनारे पर ही बैठा है वह सोचता तो है मोती को पाना है यानी कि भगवान को पाना है परंतु मोहमाया में लिप्त होकर वह इस नदी में यानी की ज्ञान के सागर में डुबकी नहीं लगा पाता। और जिसने मन को वश में रख डुबकी लगाई उसे ही भगवान का दर्शन हुआ है। 🙏सादर प्रणाम🙏

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नमस्कार 🙏 मित्रो आज का शीर्षक यह है कि बचपन में मस्तिष्क किस प्रकार का होता है ? यह सवाल ही बड़ा रोचक है कि बचपन में बच्चे के मस्तिष्क कि परिकल्पना करना एक परमरहस्या की तरफ बढ़ने वाली बात है क्योंकि मानव जीवन के चार पहर है यह कुछ इस प्रकार है कि: पहला : बचपन  दूसरा : युवावस्था  तीसरा : जवानी  चोथा : वृद्ध  परंतु यहां पर बचपन कि चर्चा है बचपन में एक बच्चा का मस्तिष्क पूर्ण रूप से खाली होता है वह कुछ नहीं जानता। यहां पर एक ही परम रहस्य है जोकि पूर्व में एक विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति ने कहा था की “बचपन में एक बच्चे का मस्तिष्क इतना प्रभावी होता है कि आप चाहे तो उसे एक विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति भी बना सकते हैं एवं चाहे तो एक आतंकवादी भी बना सकते हैं।” निष्कर्ष  : यहां से एक ही बात साफ होती है कि बचपन में बच्चे पूर्ण रूप से एक पवित्र आत्मा की तरह होता है यानी कि उनका मस्तिष्क एक पवित्र भूमि की तरह है जिसमें की मां-बाप अच्छे बीजों का बीजारोपण करते है एवं समय आने पर यही बीज संस्कारों के रूप में अंकुरित होते हैं।