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Brain results

नमस्कार 🙏 मित्रो आज का शीर्षक है “मस्तिष्क के परिणाम "। यदि इस बात पर ध्यान दिया जाए तो यह बात पूर्ण सत्य है परंतु यहां पर इस बात के दो पहलू है
  •  पहला की यदि व्यक्ति अपने धर्म के मार्ग पर कर्तव्य का पूर्ण पालन करें तो उसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं  क्योंकि जो धर्म की रक्षा करता हैै धर्म उसकी भी रक्षा करता है। इस मार्ग पर चलने वााला सदैव अमर रहता है।
  • दूसरा कि यदि व्यक्ति अपने धर्म  के मार्ग को न अपनाकर अधर्म के मार्ग को अपनाता है। तो उसकी रक्षा स्वयं भगवान भी नहीं कर सकते। एवं अधर्म के पैर ज्यादा दिन तक टिक भी नहीं पाते अथवा यहां पर कोई भी अमर नहीं है। 
निष्कर्ष : यदि इन दोनों  बातों का निष्कर्ष देखा जाए तो भगवान पहले व्यक्ति को बुध्दि प्रदान करेंगे जिससे कि वह व्यक्ति मुश्किलों सेे डगमग आएगा नहीं और यही दूसरा व्यक्ति जो कि अधर्मी है  उसकी बुद्धि भगवान छीन लेंगे  जिस कारण से वह मुश्किलों सेे लड़ नहीं पाएगा और अंत में वह मृत्यु  के काल में समा जाएगा ।

🙏सादर प्रणाम🙏

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 नमस्कार   🙏 मित्रो आज का   शीर्षक समाज के हित में है यदि समाज स्त्रियों का पूर्णता सम्मान करें तो समाज विकास पथ पर कभी भी डगमग आएगा नहीं। स्त्री के सम्मान में एक बात अवश्य कहीं जाती है: “नारी निंदा मत करो नारी नर कि खान है क्योंकि नारी से ही पैदा हुए भक्त ध्रुव, प्रहलाद,और भगवान है”   अर्थ  : नारी एक देवी का स्वरूप भी है जिसे सभी भक्त माता के रूप में भी पूजते है, नारी एक बहन का भी स्वरूप है जो कि अपने भाई की रक्षा हेतु रक्षा सूत्र बांधती है एवं समय आने पर एक माता का भाग भी निभाते है,नारी एक ग्रह लक्ष्मी का भी स्वरूप है जो कि घर को एक पवित्र धागे में बांधती है एवं इतना ही नहीं भगवान का दूसरा स्वरूप माता को कहा गया है यदि कोई पुत्र अपनी माता की सेवा ही पूर्ण भाव से करे तो भगवान सदैव उसकी रक्षा करेंगे। एवं संसार में स्त्री से बड़ी और कोई त्याग की मूरत नहीं है। “यहां पर एक ही परम सत्य की बात है नारी के स्वरूप में विद्या की देवी भी है इसलिए जो मनुष्य नारी का सम्मान नहीं करते उनकी बुद्धि भी धीरे धीरे कम होती चली जाती है” 🙏 सादर प्रणाम 🙏 

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नमस्कार    🙏 मित्रो आज का शीर्षक भी बिल्कुल सरल है कि शरीर का मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? वैसे शरीर एक प्रकार से जड़ तत्व है जिस प्रकार पेड़ धरती से जुड़ा हुआ होता है उसी प्रकार शरीर भी धरती से जुड़ा हुआ है एवं शरीर का अंत हो सकता है इसके भीतर की आत्मा का नहीं। शरीर भी विभिन्न प्रकार के है:   पहला : मनुष्य शरीर जो कि बड़े ही भाग से प्राप्त होता है क्योंकि इसी शरीर से ही भगवान को पाया जा सकता है। दूसरा : पशु एवं पक्षी का शरीर जो कि मनुष्य शरीर में पाप करने केेे कारण मिलता है। एवं इस शरीर से निकलने के बहुत जतन करने पड़ते हैं तथा अपने पुण्य को बनाना पड़ता है । निष्कर्ष:  यहां पर एक परम रहस्य की बात यही है कि जिसमें मनुष्य का शरीर प्राप्त कर अपने मन को पूर्ण वश में कर लिया तो समझो उसका मस्तिष्क पूर्ण रूप से कार्य करेगा। मन वश में तभी आएगा यदि आप सद मार्ग पर हैं।           🙏सादर प्रणाम🙏

Childhood brain

नमस्कार 🙏 मित्रो आज का शीर्षक यह है कि बचपन में मस्तिष्क किस प्रकार का होता है ? यह सवाल ही बड़ा रोचक है कि बचपन में बच्चे के मस्तिष्क कि परिकल्पना करना एक परमरहस्या की तरफ बढ़ने वाली बात है क्योंकि मानव जीवन के चार पहर है यह कुछ इस प्रकार है कि: पहला : बचपन  दूसरा : युवावस्था  तीसरा : जवानी  चोथा : वृद्ध  परंतु यहां पर बचपन कि चर्चा है बचपन में एक बच्चा का मस्तिष्क पूर्ण रूप से खाली होता है वह कुछ नहीं जानता। यहां पर एक ही परम रहस्य है जोकि पूर्व में एक विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति ने कहा था की “बचपन में एक बच्चे का मस्तिष्क इतना प्रभावी होता है कि आप चाहे तो उसे एक विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति भी बना सकते हैं एवं चाहे तो एक आतंकवादी भी बना सकते हैं।” निष्कर्ष  : यहां से एक ही बात साफ होती है कि बचपन में बच्चे पूर्ण रूप से एक पवित्र आत्मा की तरह होता है यानी कि उनका मस्तिष्क एक पवित्र भूमि की तरह है जिसमें की मां-बाप अच्छे बीजों का बीजारोपण करते है एवं समय आने पर यही बीज संस्कारों के रूप में अंकुरित होते हैं।