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introducing my new channel mysterious brain

नमस्कार 🙏मित्रो में आप सभी का अपने इस नए ब्लॉग "रहेस्यमई  मस्तिष्क" पर  आपका स्वागत करता हूं। हमारे इस ब्लॉग में मस्तिष्क से जुड़ी प्रत्येक विषय पर आपसे चर्चा करूंगा एवम् आपका विश्वास सार्वभौमिक शिक्षा पर भी होना चाहिए क्योंकि जीवन एक ऐसी किताब है जिसमें हर कदम पर कुछ सीखने को मिलता है। दुनिया में मस्तिष्क से बलवान कोई नहीं क्योंकि यही एक जरिया है भगवान से जुड़ने का, यही एक जरिया है  हर मुश्किल कार्य को संभव बनाने का, एवं इन सभी चिजो को पाने के लिए एक ही चीज महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति अपने कर्म पथ पर कितना पक्का है बिना किसी कर्मफल के।इसे के साथ अगले विचार के साथ फिर मिलेंगे सबको सादर प्रणाम🙏🙏।

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how we see the god?

 नमस्कार 🙏 मित्रो आज का शीर्षक ही इस मस्तिष्क के रहस्ययो   की चाभी है क्योंकि जिसने भगवान का दर्शन किया उसने तो पूरा ब्रह्मांड ही देेख लिया। परंतुुुुुु यह इतना सरल भी नहीं है क्योकि भगवान दर्शन के लिए मन  वश में भी होना चाहिए और यह तभी संभव है जब मनुष्य सांसारिक माया से ऊपर उठकर भगवान को याद करे।   इसके लिए भी पूर्व में कबीर जी कहते है:   “यदि नदी किनारे बैठे हैं और आप चाहते हैं कि मोती प्राप्त हो जाए तो यह कहने से प्राप्त नहीं होगा मोती को प्राप्त करने के लिए डुबकी तो लगानी ही पड़ेगी।” अर्थ  : इसी प्रकार मनुष्य भी इस कलयुग में किनारे पर ही बैठा है वह सोचता तो है मोती को पाना है यानी कि भगवान को पाना है परंतु मोहमाया में लिप्त होकर वह इस नदी में यानी की ज्ञान के सागर में डुबकी नहीं लगा पाता। और जिसने मन को वश में रख डुबकी लगाई उसे ही भगवान का दर्शन हुआ है। 🙏सादर प्रणाम🙏

Imagination of kalyug in Mahabharata

नमस्कार  🙏 मित्रों आज का शीर्षक ही यही है कि आज सबका मन जैसा है उसकी परिकल्पना महाभारत में ही हो चुकी थी। महाभारत काल में जब विधुर जी बाहर से घूमकर आते है तो वह एक दृष्टांत  धृतराष्ट्र समेत सभी को सुनाते है। यह कुछ इस प्रकार से था कि   “ विधुर जी देखते है की एक हाथी का महावत अपने हाथी को मदिरा पीला देता है पहले तो उसका महावत ऊपर बैठा था जब हाथी ने शराब पी तो हाथी बेकाबू हो गया और यह भूल गया कि महावत उसका स्वामी है अब हाथी महावत को मारने के लिए दौड़ता है वह कहता है कि इस महावत ने मुझे इस डंडे से मारा मैं इसको समाप्त करूंगा और महावत भागते भागते एक कुएं के पास आ पहुंचा एवं उसने कुएं में छलांग लगा दी अब नीचे गिरते हुए एक जड़ को पकड़ लेता है परंतु अब नीचे एक भूखा मगरमच्छ बैठा है अब महावत क्या करता  ऊपर जाएं तो हाथी उसकी जान ले लेगा एवं नीचे गिरे तो मगरमच्छ खा जाएगा फिर भी वह सोचता है कि में बच गया सहसा उसकी नजर जड़ कि तरफ जाती है उसने देखा कि जड़ को दो चूहे काट रहे थे एक सफ़ेद और एक काला चुहा तथा ऊपर एक बड़ा वृक्ष था लगा हुआ जिसमें की एक मधुमक्खी का छत्ता लगा...

Childhood brain

नमस्कार 🙏 मित्रो आज का शीर्षक यह है कि बचपन में मस्तिष्क किस प्रकार का होता है ? यह सवाल ही बड़ा रोचक है कि बचपन में बच्चे के मस्तिष्क कि परिकल्पना करना एक परमरहस्या की तरफ बढ़ने वाली बात है क्योंकि मानव जीवन के चार पहर है यह कुछ इस प्रकार है कि: पहला : बचपन  दूसरा : युवावस्था  तीसरा : जवानी  चोथा : वृद्ध  परंतु यहां पर बचपन कि चर्चा है बचपन में एक बच्चा का मस्तिष्क पूर्ण रूप से खाली होता है वह कुछ नहीं जानता। यहां पर एक ही परम रहस्य है जोकि पूर्व में एक विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति ने कहा था की “बचपन में एक बच्चे का मस्तिष्क इतना प्रभावी होता है कि आप चाहे तो उसे एक विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति भी बना सकते हैं एवं चाहे तो एक आतंकवादी भी बना सकते हैं।” निष्कर्ष  : यहां से एक ही बात साफ होती है कि बचपन में बच्चे पूर्ण रूप से एक पवित्र आत्मा की तरह होता है यानी कि उनका मस्तिष्क एक पवित्र भूमि की तरह है जिसमें की मां-बाप अच्छे बीजों का बीजारोपण करते है एवं समय आने पर यही बीज संस्कारों के रूप में अंकुरित होते हैं।