नमस्कार 🙏
मित्रो आज का शीर्षक ही इस मस्तिष्क के रहस्ययो की चाभी है क्योंकि जिसने भगवान का दर्शन किया उसने तो पूरा ब्रह्मांड ही देेख लिया। परंतुुुुुु यह इतना सरल भी नहीं है क्योकि भगवान दर्शन के लिए मन वश में भी होना चाहिए और यह तभी संभव है जब मनुष्य सांसारिक माया से ऊपर उठकर भगवान को याद करे। इसके लिए भी पूर्व में कबीर जी कहते है:
“यदि नदी किनारे बैठे हैं और आप चाहते हैं कि मोती प्राप्त हो जाए तो यह कहने से प्राप्त नहीं होगा मोती को प्राप्त करने के लिए डुबकी तो लगानी ही पड़ेगी।”
अर्थ : इसी प्रकार मनुष्य भी इस कलयुग में किनारे पर ही बैठा है
वह सोचता तो है मोती को पाना है यानी कि भगवान को पाना है परंतु मोहमाया में लिप्त होकर वह इस नदी में यानी की ज्ञान के सागर में डुबकी नहीं लगा पाता। और जिसने मन को वश में रख डुबकी लगाई उसे ही भगवान का दर्शन हुआ है।
🙏सादर प्रणाम🙏
Good
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंअति उत्तम 🙏
जवाब देंहटाएं🙏 सादर प्रणाम 🙏
हटाएंVery good blog.
जवाब देंहटाएंThank you
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